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गुवाहाटी: अस्थिर मणिपुर में बीजेपी के भीतर दरार और गहरी हो गई है। इससे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की स्थिति और भी खराब हो गई है। क्योंकि सोमवार को राज्य में स्थिति का आकलन करने के लिए बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक शामिल नहीं हुए। इनमें मुख्य रूप से मैतेई समुदाय से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। बैठक का निमंत्रण रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों और विधायकों को तब भेजा गया था। जब उसके प्रमुख सहयोगी एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी।
एनडीए सहयोगियों के बीच भी विभाजन साफ था। सोमवार को एनडीए के कुल 53 विधायकों में से केवल 27 मंत्री (सीएम सहित) और विधायक बैठक में शामिल हुए। इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायक थे। बैठक में बीजेपी के 19 सदस्यों ने भाग नहीं लिया। इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल हैं, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। अनुपस्थित रहने वाले अन्य 12 बीजेपी सदस्यों में प्रमुख रूप से बीजेपी के ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे।
इनमें से तीन ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण बैठक में शामिल न हो पाने की पूर्व सूचना दी थी, जबकि बाकी नौ बिना कोई कारण बताए बैठक में शामिल नहीं हुए। एनडीए के अन्य सहयोगियों में एनपीपी के दो और एनपीएफ के एक विधायक शामिल हैं। इन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, जबकि एनपीपी का एक, जेडी(यू) का एक और एक निर्दलीय विधायक बिना कोई कारण बताए अनुपस्थित रहे। मणिपुर के 60 सदस्यीय सदन में एनडीए के 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं, जबकि बाकी सात विपक्षी कांग्रेस (5) और कुकी पीपुल्स अलायंस (2) के हैं।
मणिपुर सीएम बीरेन सिंह ने बाद में एक्स पर पोस्ट किया कि आज सत्तारूढ़ विधायकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इसमें हमने जिरीबाम में हाल ही में हुई निर्दोष लोगों की हत्या की कड़ी निंदा की। निश्चिंत रहें। न्याय सुनिश्चित किया जाएगा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए AFSPA और कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
उधर, बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर पोस्ट किया, 'मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं। सोमवार रात मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इंफाल में NDA के सभी विधायकों की बैठक बुलाई, जिसमें उनके अलावा केवल 26 विधायक ही उपस्थित हुए। इन 26 में से 4 विधायक एनपीपी के हैं, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मौजूदा सीएम से समर्थन वापस लेने के लिए पत्र लिख चुके हैं। दीवार पर लिखी इबारत बिल्कुल साफ है, लेकिन क्या मणिपुर के बड़े सूत्रधार-केंद्रीय गृह मंत्री इसे पढ़ रहे हैं, जिन्हें पीएम ने राज्य की सारी ज़िम्मेदारी सौंप दी है और आउटसोर्स कर दिया है?
बैठक में एनडीए के महज 27 विधायक
एनडीए सहयोगियों के बीच भी विभाजन साफ था। सोमवार को एनडीए के कुल 53 विधायकों में से केवल 27 मंत्री (सीएम सहित) और विधायक बैठक में शामिल हुए। इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायक थे। बैठक में बीजेपी के 19 सदस्यों ने भाग नहीं लिया। इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल हैं, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। अनुपस्थित रहने वाले अन्य 12 बीजेपी सदस्यों में प्रमुख रूप से बीजेपी के ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे।
विधायकों ने इन कारणों का दिया हवाला
इनमें से तीन ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण बैठक में शामिल न हो पाने की पूर्व सूचना दी थी, जबकि बाकी नौ बिना कोई कारण बताए बैठक में शामिल नहीं हुए। एनडीए के अन्य सहयोगियों में एनपीपी के दो और एनपीएफ के एक विधायक शामिल हैं। इन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, जबकि एनपीपी का एक, जेडी(यू) का एक और एक निर्दलीय विधायक बिना कोई कारण बताए अनुपस्थित रहे। मणिपुर के 60 सदस्यीय सदन में एनडीए के 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं, जबकि बाकी सात विपक्षी कांग्रेस (5) और कुकी पीपुल्स अलायंस (2) के हैं।
मणिपुर सीएम ने क्या कहा?
मणिपुर सीएम बीरेन सिंह ने बाद में एक्स पर पोस्ट किया कि आज सत्तारूढ़ विधायकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इसमें हमने जिरीबाम में हाल ही में हुई निर्दोष लोगों की हत्या की कड़ी निंदा की। निश्चिंत रहें। न्याय सुनिश्चित किया जाएगा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए AFSPA और कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
शाह दीवार पर लिखी इबारत नहीं पढ़ पा रहे: कांग्रेस
उधर, बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर पोस्ट किया, 'मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं। सोमवार रात मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इंफाल में NDA के सभी विधायकों की बैठक बुलाई, जिसमें उनके अलावा केवल 26 विधायक ही उपस्थित हुए। इन 26 में से 4 विधायक एनपीपी के हैं, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मौजूदा सीएम से समर्थन वापस लेने के लिए पत्र लिख चुके हैं। दीवार पर लिखी इबारत बिल्कुल साफ है, लेकिन क्या मणिपुर के बड़े सूत्रधार-केंद्रीय गृह मंत्री इसे पढ़ रहे हैं, जिन्हें पीएम ने राज्य की सारी ज़िम्मेदारी सौंप दी है और आउटसोर्स कर दिया है?
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